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Tuesday 12 April 2016

प्रोफेशनल मदद

एक कामकाजी महिला एक दिन अपने कार्यालय में थी. उसके घर से आया का फ़ोन आया कि उस महिला की छोटी बच्ची को तेज बुखार हो गया है. वह तुरंत कार्यालय से छुट्टी ले कर घर चल पड़ी. रास्ते में उसने एक दवाई की दुकान पर कार रोकी और बेटी के लिए कुछ दवाइयां लेने लगी.

दवाई ले कर जैसे ही वह कार के पास आई उसने देखा की हड़बड़ी में वह कार की चाभी कार के अन्दर ही भूल गई थी और कार अब लॉक हो चुकी थी. उसने घर पर फ़ोन कर आया को सारी बात बताई. आया ने कहा कि बच्ची का बुखार और भी बढ़ रहा है. यह सुन कर वह महिला और भी घबरा गई और कार के पास खड़ी भगवान् से प्रार्थना करने लगी, "हे भगवान मेरी मदद करो, मैं कैसे अपनी बीमार बच्ची के पास पहुंचूं?".

थोड़ी देर में उसने देखा की वहां एक खटारा कार आ कर रुकी और मैले कुचैले कपड़े पहने एक आदमी कार से बाहर आया. उसने महिला से कहा क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूँ. महिला ने उसे अपनी परेशानी बताई और मन ही मन भगवान् से बोली, हे भगवान् मदद भी भेजी तो कैसी?"

उस आदमी ने अपनी जेब से कुछ चाभियां निकाली और देखते ही देखते कार को खोल दिया. महिला की आंखों में ख़ुशी के आंसू छलक पड़े. उसने उस व्यक्ति का आभार व्यक्त किया और कहा, "धन्यवाद, आप बहुत अच्छे इंसान हैं."

वह आदमी कहने लगा, "मैडम मैं अच्छा इंसान नहीं हूँ. मैं तो कार चोरी का काम करता हूँ और आज ही जेल से छूटा हूँ."

महिला ने भगवान् को धन्यवाद दिया, वाह भगवान् प्रोफेशनल मदद भेजने के लिए आपका धन्यवाद."

देखा दोस्तों! कभी कभी बुरा इंसान भी किसी के काम आ सकता है.

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