magic

Friday 22 April 2016

स्वास्थ्य

स्वास्थ्य : कमर दर्द, जोड़ों के दर्द (आर्थराइटिस) और वजन घटाने के लिए भोजन :

* अंकुरित आहार जैसे गेहूं, मूंग, मोठ व चने का सेवन खाने में ज्यादा करें।
* हरी पत्तियों वाली सब्जियां ज्यादा खाएं जैसे साग, सरसों, बथुआ, पालक, हरा धनिया, मैथी, बीन्स आदि।
* सभी हरी सब्जियां जैसे घीया लौकी, तोरी, टिन्डे, कद्दू, बैंगन, करेले आदि का सेवन करें। * खाने में सोयाबीन की मात्रा बढ़ा दें। सोयाबीन की बड़ी दाल के रूप में या आटे के रूप में भी ले सकते हैं। सोयाबीन का आटा गेहूं आटे के साथ में लें।
* रोटी के लिए आटे में गेहूं व सोयाबीन या गेहूं व दाल का प्रयोग करें।
* खाने में दालों का सेवन ज्यादा से ज्यादा मात्रा में करें।
* खाना बनाते समय कोई भी घी, तेल, रिफाइन्ड या चिकनाई का प्रयोग न करें। उसके स्थान पर टमाटर की ग्रेवी का प्रयोग करें तथा मसाले स्वादानुसार डालें। जीरे को अन्य मसालों की तरह पीसकर उपयोग करें।
* खाने से पहले भरपूर मात्रा में पानी पीयें, फिर पेटभर कर सलाद खायें जैसे खीरा, टमाटर, मूली, गाजर, पत्ता गोभी, पपीता, बेर, अमरूद, तंरबूज, खरबूज व उसमें अंकुरित अनाज भी मिला सकते हैं। इसके बाद ही पका हुआ खाना रोटी, दाल, सब्जी आदि को खायें।
* खाना बनाने के लिए हमेशा कड़ाही के स्थान पर प्रेशर कुकर का प्रयोग करें। इससे भोजन के विटामिन नष्ट होने से बच जायेंगे।
* प्रतिदिन आठ से दस लिटर पानी का सेवन करें।
* दालों में सभी दालें छाले, राजमां, चना, मटर, सेम, मूंगफली आदि खा सकते हैं।
क्या न लें :
* जिस फल को जीभ पर रखने पर मिठास का एहसास हो, वो फल कम खायें जैसे आम, चीकू सेब, केला व अंगुर।
* फलों के जूस का प्रयोग कम करें।
* ड्राई फू्रट सूखे मेवे उचित मात्रा में खायें।
* किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन कभी न करें जैसे तम्बाकू गुटखा, सगरेट, शराब।
* सभी जंक फूड जैसे पीजा, बर्गर, चाउमीन तथा चाय, कोल्ड ड्रिंक, कोक, कॉफी आदि न लें।
* जानवरों से उत्पन्न कोई भी वस्तु जैसे अण्डा, मांस-मछली आदि तथा दूध व दूध से बनी सभी चीजें जैसे घी, पनीर, दही, मक्खन आदि का प्रयोग कम करें।
***********
छाछ (मठ्ठा ,तक्र )-
दही को मथकर छाछ बनाया जाता है | छाछ अनेक शारीरिक दोषों को दूर करता है तथा आहार के रूप में महत्वपूर्ण है | छाछ या मठ्ठा शरीर के विजातीय तत्वों को बाहर निकालकर रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता की वृद्धि करता है | गाय के दूध से बानी छाछ सर्वोत्तम होती है | छाछ में घी नहीं होना चाहिए तथा यह खट्टी नहीं होनी चाहिए |
जिन्हे भूख न लगती हो या भोजन न पचता हो,खट्टी-खट्टी डकारें आती हों या पेट फूलता हो उनके लिए छाछ का सेवन अमृत के सामान लाभकारी होता है | छाछ गैस को दूर करती है,अतः मल विकारों और पेट की गैस में छाछ का सेवन लाभकारी होता है | यह पित्तनाशक होती है और रोगी को ठंडक और पोषण देती है |
विभिन्न रोगों में छाछ से उपचार-
*- छाछ में काला नमक और अजवायन मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है |
*- अपच में छाछ एक सर्वोत्तम औषधि है | गरिष्ठ वस्तुओं को पचाने में भी छाछ बहुत लाभकारी है | छाछ में सेंधानमक,भुना हुआ जीरा तथा काली मिर्च पीसकर , मिलाकर सेवन करने से अजीर्ण दूर हो जाता है |
*- छाछ में शक्कर और काली मिर्च मिलाकर पीने से पित्त के कारण होने वाला पेट दर्द ठीक हो जाता है |
*- छाछ में नमक डालकर पीने से लू लगने से बचा जा सकता है |
*- एक गिलास छाछ में काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन पीने से पीलिया में लाभ होता है |
**********
मसूर -
मसूर का प्रयोग दाल के रूप में प्रायः समस्त भारतवर्ष में किया जाता है | इससे सभी अच्छी तरह परिचित हैं | समस्त भारत में मुख्यतः शीत जलवायु वाले क्षेत्रों में, तक उष्णकटिबंधीय एवं शीतोष्णकटिबन्धीय १८०० मीटर ऊंचाई तक इसकी खेती की जाती है |
यह १५-७५ सेमी ऊँचा,सीधा,मृदु-रोमिल,शाकीय पौधा होता है | इसके पुष्प छोटे,श्वेत,बैंगनी अथवा गुलाबी वर्ण के होते हैं | इसकी फली चिकनी,कृष्ण वर्ण की,६-९ मिलीमीटर लम्बी ,आगरा भाग पर नुकीली तथा हरे रंग की होती है | प्रत्येक फली में २,गोल,चिकने,४ मिमी व्यास के,चपटे तथा हलके गुलाबी से रक्ताभ वर्ण के बीज होते हैं | इन बीजों की दाल बनाकर खायी जाती है | इसका पुष्पकाल दिसंबर से जनवरी तथा फलकाल मार्च से अप्रैल तक होता है |
इसके बीज में कैल्शियम,फॉस्फोरस,आयरन,सोडियम,पोटैशियम,मैग्नीशियम,सल्फर,क्लोरीन,आयोडीन,एल्युमीनियम,कॉपर,जिंक,प्रोटीन,कार्बोहायड्रेट एवं विटामिन D आदि तत्व पाये जाते हैं | मसूर के औषधीय गुण -
*- मसूर की दाल को जलाकर,उसकी भस्म बना लें,इस भस्म को दांतों पर रगड़ने से दाँतो के सभी रोग दूर होते हैं |
*- मसूर के आटे में घी तथा दूध मिलाकर,सात दिन तक चेहरे पर लेप करने से झाइयां खत्म होती हैं |
*- मसूर के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करने से गले की सूजन तथा दर्द में लाभ होता है |
*- मसूर की दाल का सूप बनाकर पीने से आँतों से सम्बंधित रोगों में लाभ होता है |
*- मसूर की भस्म बनाकर,भस्म में भैंस का दूध मिलाकर प्रातः सांय घाव पर लगाने से घाव जल्दी भर जाता है |
*- मसूर दाल के सेवन से रक्त की वृद्धि होती है तथा दौर्बल्य का शमन होता है |
*- मसूर की दाल खाने से पाचनक्रिया ठीक होकर पेट के सारे रोग दूर हो जाते हैं |

*आरोग्यं-

रुद्राक्ष -
रुद्राक्ष विश्व में नेपाल,म्यान्मार,इंग्लैंड,बांग्लादेश एवं मलेशिया में पाया जाता है | भारत में यह मुख्यतः बिहार,बंगाल,मध्य-प्रदेश,आसाम एवं महाराष्ट्र में पाया जाता है | विद्वानों का कथन है कि रुद्राक्ष की माला धारण करने से मनुष्य शरीर के प्राणों का नियमन होता है तथा कई प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक विकारों से रक्षा होती है | इसकी माला को पहनने से हृदयविकार तथा रक्तचाप आदि विकारों में लाभ होता है |
यह १८-२० मीटर तक ऊँचा,माध्यम आकार का सदाहरित वृक्ष होता है | इसके फल गोलाकार,१.३-२ सेमी व्यास के तथा कच्ची अवस्था में हरे रंग के होते हैं | इसके बीजों को रुद्राक्ष कहा जाता है | इसका पुष्पकाल एवं फलकाल फ़रवरी से जून तक होता है|
आइये जानते हैं रुद्राक्ष के कुछ औषधीय प्रयोगों के विषय में -
*- रुद्राक्ष का शरीर से स्पर्श उत्तेजना,रक्तचाप तथा हृदय रोग आदि को नियंत्रित करता है |
*- रुद्राक्ष को पीसकर उसमें शहद मिलाकर त्वचा पर लगाने से दाद में लाभ होता है |
*- रुद्राक्ष को दूध के साथ पीसकर चेहरे पर लगाने से मुंहासे नष्ट होते हैं |
*- रुद्राक्ष के फलों को पीसकर लगाने से दाह (जलन) में लाभ होता है |
*- यदि बच्चे की छाती में कफ जम गया हो तो रुद्राक्ष को घिसकर शहद में मिलाकर ५-५ मिनट के बाद रोगी को चटाने से उल्टी द्वारा कफ निकल जाता है |
***********

फिटकरी -
फिटकरी आमतौर पर सब घरों में प्रयोग होती है | यह लाल व सफ़ेद दो प्रकार की होती है | अधिकतर सफ़ेद फिटकरी का प्रयोग ही किया जाता है | यह संकोचक अर्थात सिकुड़न पैदा करने वाली होती है | फिटकरी में और भी बहुत गुण होते हैं | आज हम आपको फिटकरी के कुछ गुणों के विषय में बताएंगे -
*- यदि चोट या खरोंच लगकर घाव हो गया हो और उससे रक्तस्त्राव हो रहा हो तो घाव को फिटकरी के पानी से धोएं तथा घाव पर फिटकरी का चूर्ण बनाकर बुरकने से खून बहना बंद हो जाता है |
*- आधा ग्राम पिसी हुई फिटकरी को शहद में मिलाकर चाटने से दमा और खांसी में बहुत लाभ मिलता है |
*- भुनी हुई फिटकरी १-१ ग्राम सुबह-शाम पानी के साथ लेने से खून की उलटी बंद हो जाती है |
*- प्रतिदिन दोनों समय फिटकरी को गर्म पानी में घोलकर कुल्ला करें ,इससे दांतों के कीड़े तथामुँहकी बदबू ख़त्म हो जाती है |
*- एक लीटर पानी में १० ग्राम फिटकरी का चूर्ण घोल लें | इस घोल से प्रतिदिन सिर धोने से जुएं मर जाती हैं |
*- दस ग्राम फिटकरी के चूर्ण में पांच ग्राम सेंधा नमक मिलाकर मंजन बना लें | इस मंजन के प्रतिदिन प्रयोग से दाँतो के दर्द में आराम मिलता है |
********

No comments:

Post a Comment

add