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Sunday 14 February 2016

सफलता...

Hello dosto....


प्रायः लोग अपनी असफलताओं के प्रति स्वयं के उत्तरदायित्व से बचने के लिए तमाम प्रकार के बहानों व कारणों को जिम्मेदार ठहराते हैं। वे इस बात को समझने में पूरी तरह विफल हैं कि असली समस्या उनकी अपनी  मनोवृत्ति में है…

सफलता के लिए उचित मनोवृत्ति का होना आवश्यक है, क्योंकि जैसी मनोवृत्ति होगी, वैसा ही व्यवहार होगा। जैसा व्यवहार होगा, वैसे ही कार्य होंगे । जैसे कार्य होंगे, परिणाम भी उसी के अनूकुल होगा, । प्रायः लोग  अपनी असफलताओं के प्रति स्वयं के उत्तरदायित्व से बचने के लिए तमाम प्रकार के बहानों व कारणों को जिम्मेदार ठहराते हैं। वे इस बात को समझने में पूरी तरह से विफल हैं कि असली समस्या उनकी अपनी मनोवृत्ति ही  है, जो हमारे जीवन का निर्माण करती है। इसी के द्वारा हमारी सफलताएं व असफलताएं निर्देशित होती हैं। विभिन्न क्षेत्रों के सफल व्यक्तियों के इतिहास  की गहराई से पड़ताल करने पर पता चलता है कि उनकी मनोवृत्ति सभी  कर्त्तव्यों के उत्तरदायित्व को अपने ऊपर  लने की होती है, ऐसे लोग बहानों में विश्वास नहीं करते और न ही अपनी  समस्याओं के लिए दूसरों को दोषी ठहराते हैं। आप किसी भी चीज को सकारात्मक अथवा नकारात्मक दृष्टि से देख सकते हैं। हमारी सोच सभी सफलताओं , समस्त सांसारिक प्राप्तियों, सभी महान खोजों एवं आवािष्कारों तथा समस्त उपलब्धियों का मौलिक स्रोत होती है। हमारे विचार हमारे  कैरियर  और वास्तव  में हमारे दैनिदिन जीवन के निर्धारक होते हैं, विचार सभी कार्यों के पीछे के मार्ग निर्देशक बल होते। हमारे कार्य अनजाने में हमें सफलता या असफलता की तरफ ले जाते हैं।  विचार मनुष्य को  बना देते हैं या तोड़ देते हैं। महान धर्म गुरुओं द्वारा  ब्रह्मांड, ब्रह्मांडीय मस्तिष्क को सोच द्वारा सृजित किया गया है। यह  ब्रह्मांडीय मस्तिक सूचनाओं का महा राजपथ है, जो सभी मानव मस्तिष्कों को एक साथ जोड़ता है। हम काफी हद तक दूसरों द्वारा समाचार पत्र, चलचित्र रेडियो और आकस्तिक भेंट मुलाकातों के दौरान एक छोटे से विचार के माध्यम से भी एक अलग ढांचे में ढाल दिए जाते हैं। हमारे  ऊपर  हर समय लगातार विभिन्न डिग्री के विचारों की बमबारी होती रहती है। इनमें से कुछ हमारे अंदर की आवाज के साथ मेल खा सकते हैं और महान दृष्टि प्रदान कर सकते हैं। सफलता की कला वास्तव में हमारे मस्तिष्क के दक्षातापूर्ण संचालन की एक कला है। सफलता हमारे भीतर ही निहित होती है। उसे बाहर निकालने के लिए प्रयास की आवश्यकता होती है। यदि हमारे प्रयास सकारात्मक होते हैं, तो हम सफलता की ओर बढ़ जाते हैं और यदि हमारे प्रयास नकारात्मक होते हैं, तो हम सफलता से दूर होते चले जाते हैं। हमारे मनोभावों का हमारी जिंदगी में बड़ा महत्त्व होता है। हमारे मन के भाव ही हमारे जीवन की दिशा को तय करते हैं। हम जीवन में कितना ऊपर जाएंगे, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी मनोवृत्ति किस तरह की है। हमारे जीवन का हर एक पक्ष हमारे मन द्वारा ही नियंत्रित होता है। हमारी सफलता- असफलता सब मनोवृत्ति पर निर्भर करती है। यदि हम अपने मन को किसी एक विषय पर फोकस कर लें, तो कोई वजह नहीं कि हम अपने लक्ष्य को हासिल न कर सकें। कोई भी लक्ष्य हासिल करने के लिए एकाग्रता जरूरी है और इस एकाग्रता में मन अपनी अहम भूमिका निभाता है। जब हम एकाग्र हो गए तो समझो हम सफल हो गए।



सफलता के मूल-मंत्र"(Key of Success)



''गिरते हैं घुड़सवार ही मैदान -ए -जंग में , वो तिफ्ल क्या गिरेंगे जो चलते है घुटनों के बल''                          
अर्थात प्रयास करने वाले को ही ठोकर लग सकती है या संभवत: सफलता या असफलता मिल सकती है,लेकिन  जो प्रयास ही नहीं करते उन्‍हें न सफलता मिल सकती है और न असफलता.

यदि आप सफलता चाहते हैं तो आपको प्रयास तो करना ही पडेगा.आपको कष्टों को अपनाना ही होगा। यदि कष्टों से घबड़ा कर प्रयास ही छोड़ देंगे तो फिर सफलता के बारे में सोचना ही बेकार है. जीवन में सफलता पाने के लिये आशावादी होना चाहिये.निराशा आपको गहरे खन्दक में ले जायेगी.चिंता चिता के समान है. चिंता को त्यागना अत्यावश्यक है। यदि आप सोचते हैं कि किसी समस्या को हल किया जा सकता है तो चिंता करने की क्या आवश्यकता है और यदि आप सोचते हैं कि किसी समस्या को हल नहीं किया जा सकता तो चिंता करने से फायदा ही क्या है?

कुछ मूल-मंत्र :
  • हमारा  सफलता का ही  उद्देश्य होना चाहिये,दृढ संकल्प से किया हुआ कार्य अवश्य ही सफल होगा.
  • जीवन में कुछ बातें या घटनाएं संयोगवश हो सकती हैं। लेकिन आप अगर इस इंतजार में रहेंगे कि सब कुछ अपने आप अकस्मात ही आपको हासिल होगा, तो शायद आप सारी जिंदगी इंतजार ही करते रह जाएंगे, क्योंकि संयोग हमेशा तो नहीं हो सकता।
  • स्वयं की गलती को पहचाने,और इसे दूर करने का प्रयत्न करना चाहिये. दूसरों की गलती निकालना बहुत सरल है किन्तु स्वयं की गलती को स्वीकार करना अत्यन्त मुश्किल लगता  है।
  • गलतियाँ करना मनुष्य का स्वाभाविक गुण है, गलतियाँ कष्ट देती है पर इसे सुधारने पर हम सफलता के नए द्वार पर होते है.
  • दूसरों की शिकायत करने वाला व्यक्ति हमेशा अशांत रहता है और कभी भी सफल नहीं हो पाता। सफलता और शांति पाने के लिये बेहतर है कि स्वयं को बदलें।
  • महान बनने की कोशिश न करें। ‘मुझे क्या मिलेगा या मेरा क्या होगा’, इसकी चिंता छोड़कर अगर अपने जीवन के लक्ष्य पर ध्यान देंगे और उसका दायरा बढ़ाएंगे, तो आप खुद एक असाधारण व्यक्ति बन जाएंगे।
  • साहसी बनें और किसी अवसर के खो जाने पर कभी भी आँसू न बहायें।अश्रु कायर बहाते हैं।सोचना है हम कायर नही है।
  • जीवन में परिवर्तन एक प्राकृतिक नियम है। अतः परिवर्तन को स्वीकार करें। परिवर्तन को स्वीकारने पर अन्य सभी बातें अपने आप ही परिवर्तित हो जायेंगी।
  • विकट परिस्थिति में भी ज्याद दुखी न होकर,विकट परिस्थिति के हटाने के बारे में सोचना चाहिये.हास्य के पात्र न बनें.
  • संभव की सीमाओं को जानने का एक ही तरीका है कि उन से थोड़ा आगे असंभव के दायरे में निकल जाइए।
  • हालांकि कोई भी व्यक्ति अतीत में जाकर नई शुरुआत नहीं कर सकता है, लेकिन कोई भी व्यक्ति अभी शुरुआत कर सकता है और एक नया अंत प्राप्त कर सकता है।  
  • यदि आप में आत्मविश्वास नहीं है तो आप हमेशा न जीतने का बहाना खोज लेंगे।
  • किसी के गुणों की प्रशंसा करने में, अपना समय मत बरबाद मत करो, उसके गुणों को अपनाने का प्रयास करो।
  • बंदरगाह में खड़ा जलयान सुरक्षित होता है जलयान वहां खड़े रहने के लिए नहीं बने होते हैं.
  • एक बार किसी कार्य को करने का लक्ष्य निर्धारित कर लेने के बाद, इसे हर कीमत तथा कठिनाई की लागत पर पूरा करें. किसी कठिन कार्य को करने से उत्पन्न आत्म विश्वास अभूतपूर्व होता है।
  • हम में से जीवन किसी के लिए भी सरल नहीं है. लेकिन इससे क्या? हम में अडिगता होनी चाहिए तथा इससे भी अधिक अपने में विश्वास होना चाहिए. हमें यह विश्वास होना चाहिए कि हम सभी में कुछ न कुछ विशेषता है तथा इसे अवश्य ही प्राप्त किया जाना चाहिए।
  • ग़लतियों से न सीखना ही एकमात्र ग़लती होती है।
  • यह कहना कठिन होता कि असंभव क्या है, क्योंकि विगत का स्वप्न, आज की आशा और कल की वास्तविकता होती है।
  • अधिकांश बड़े लक्ष्य हासिल न हो पाने का कारण यह हैं कि हम छोटी चाजों को पहले करने मे अपना समय बिता देते हैं।  
  • जब तक किसी व्यक्ति द्वारा अपनी संभावनाओं से अधिक कार्य नहीं किया जाता है, तब तक उस व्यक्ति द्वारा वह सब कुछ नहीं किया जा सकेगा जो वह कर सकता है।
  • जीवन की त्रासदी इस बात में नहीं है कि आप अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंचते हैं, त्रासदी तो इस बात की है कि आपके पास प्राप्त करने के लिए कोई लक्ष्य नहीं है।
  •  आपकी प्रतिभा, आपको भगवान का दिया गया उपहार है, आप इसके साथ क्या करते हैं, यह आपके द्वारा भगवान को दिया गया उपहार होता है।
रहिमन मनहि लगाईं कै, देखि लेहू किन कोय
नर को बस करिबो कहा, नारायन बस होय.


Ajay pandey.

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