magic

Wednesday 7 September 2016

बरगद का पेड़


मेरे  फल  छोटे हैं

जंगल  में  नदी  किनारे  बहुत  पुराना  एक  बरगद  का पेड़  था । उस  वृक्ष  की  हरी-भरी  डालियों,  हरे-हरे पत्तों  को  देखकर   राहगीरों  की  आंखों  को  ठंडक पहुंचती  थी।

थोड़ी  दूर  पर  आम,  जामुन,  अमरुद  और  अनार   के पेड़  भी  थे। उस  जंगल  के  सभी  पेड़-पौधे  बरगद दादा  का  बड़ा  सम्मान  करते  थे  ।

बरगद  की  छाया  में  थके  हुए  मुसाफिर  अक्सर आराम  करते  थे। एक  दिन  एक  राहगीर  उस  बरगद के  नीचे  आराम  करने  बैठा।  सारा  दिन  धूप  में  पैदल चलने  से  वह  थक  गया  था। हवा  के  झोंके  उसके थके  शरीर  को  आराम  पहुंचा  रहे  थे।

उसे  नींद  आने  लगी। वह  सोने  के  लिए  लेटा  ही  था कि  अचानक  उसकी  निगाह  बरगद  की  टहनियों  पर पड़ी।  वह  राहगीर  थोड़ा  घमंडी  था। जब  उसने बरगद  के  छोटे-छोटे  फलों  को  देखा  तो  उसे  बहुत आश्चर्य  हुआ। इतने  बड़े  पेड़  के  इतने  छोटे-छोटे  से फूल  और  फल ?

राहगीर  तिरस्कार  से  बोला। कुछ  देर  सोचने  के  बाद उसने  हंसते  हुए  कहा,  ‘‘सब  कहते  हैं  कि  यह  पेड़ बहुत  बुद्धिमान  है  अगर  इसके  फल  इतने  छोटे-छोटे हैं  तो  यह  समझदार  कैसे  हो  सकता  है। ’’बरगद  का पेड़  सारी  बात  सुनने  के  बाद  भी  चुप  रहा।

उसने  अपने  पत्ते  हिलाकर  हवा  की।  राहगीर  जल्द ही  खर्राटे  भरने  लगा।  तभी  ‘टप’  से  एक  छोटा-सा फल  राहगीर  पर  गिरा।  वह  एकदम  झटके  से उठा। ‘‘हूं  जब  मुझे  नींद  आ  रही  थी  तभी  यह  होना  था।’’  राहगीर  फल  उठाते  हुए  बड़बड़ाया ।

‘‘चोट  लगी  क्या ?’’  बरगद  ने  मुस्कुराते  हुए पूछा ।‘‘नहीं  पर  तुमने   मेरी  नींद  तोड़  दी।’’ राहगीर  ने आंख  मलते  हुए  कहा। ‘‘इसे  घमंडी  राहगीर  के  लिए एक  सबक  समझो।

तुम  मुझ  पर  इसीलिए  हंसे  थे  न  कि  मेरे  फल  छोटे हैं।’’ बरगद  ने  हंसते  हुए  कहा।

राहगीर  गुस्से  से  कहा, ‘‘हां  मैं  हंसा  था।   न  जाने लोग  क्यों  तुम्हें  समझदार  समझते  हैं ? सोते  लोगों को  जगाना  क्या  समझदारी  है?’’

बरगद  फिर  हंसा  और  बोला,  ‘‘मेरे  दोस्त, घमंड करना  कोई  बुद्धिमानी  नहीं  है।  मेरे  पत्ते  तुम्हें  आराम करने  के  लिए  छाया  व  हवा  दे  रहे  हैं।  हां  मेरे  फल जरूर  छोटे  हैं ।

अगर  मेरा  फल  नारियल  जितना  बड़ा  होता  और    वह  तुम्हारे  सिर  पर  गिरा  होता  तो  सोचो  तुम्हारे  सिर  का  क्या  हाल  होता।

’’राहगीर  यह  सुनकर  चुप  हो  गया। उसने  इस  बारे  में  तो  सोचा  ही  न  था। ‘‘जो  लोग  बुद्धिमान  होते  हैं वे  अपने  आसपास  की  चीजों  को  देखकर  भी  बहुत कुछ  सीख  सकते  हैं।’’ बरगद  ने  धीरे  से  कहा।

राहगीर  ने  बरगद  से  माफी  मांगते  हुए  कहा, ‘‘मुझे माफ  कर  दीजिए।  मुझे  सब  समझ  आ  गया  और आज  मुझे  सीख  भी  मिल  गई।

मैं  वायदा  करता  हूं कि  आगे  कभी  भी  घमंड  नहीं  करूंगा  और  छोटे-बड़े  का  भेदभाव  मन  में  नहीं  पालूंगा।’’

No comments:

Post a Comment

add