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Friday 2 September 2016

विपरीत परिस्थितियां


विपरीत  परिस्थितियां

एक  व्यक्ति  ने  उस  समय  में  चाय  का  कारोबार  शुरू  किया,  जब  चाय  का  प्रचलन  बहुत  ही  सीमित  था । कुछ  ही  समय  बाद  वह  कंपनी  नुकसान  में  आ  गई।  फिर  भी  व्यापारी  ने  हिम्मत  नहीं  हारी  और  कारोबार  जारी  रखा । अब  वह  और  भी  मेहनत  करने  लगा  और  कारोबार  फैलाने  के  लिए  चाय  की  पेटियां  दूसरे  देश  में  भी  ले  जाने  लगा।

एक  बार  इसी  सिलसिले  में  वह  जहाज  में  चाय  की  पेटियां  रखकर  दूसरे  देश  में  ले  जा  रहा  था।  रास्ते  में जहाज  खराब  हो  गया  और  स्थिति  को  देखते  हुए  जहाज  के  कैप्टन  ने  घोषणा  की  कि  सभी  जहाज  के  यात्री अपना  अपना  सामान  समुद्र  में  फेंक  दे। घोषणा  सुनकर  यात्री  बुरी  तरह  परेशान  हो  गया, वह  जानता  था  कि अगर  उसने  पेटियां   समुद्र  में  फेंक  दी  तो  वह  बर्बाद  हो  जाएगा।

उधर  सब  लोग  अपनी  अपनी  जान  बचाने  के  लिए  सामान  समुद्र  में  फेंकने  लगे  अब  व्यापारी  के  पास  भी  दूसरा  कोई  विकल्प  नहीं  बचा  था। इसी  चिंतन  के  बीच  उसके  दिमाग  में  एक  विचार  आया। अचानक  वह  उठा  और  जल्दी  जल्दी  चाय  की  पेटियों  पर  अपनी  कंपनी  का  नाम  लिखने  लगा  और  साथ  ही  मैं  यह  संदेश  लिख  दिया  कि  "यह  चाय  पिएं" । इस  सोच  के  साथ  की  पेटियां  लहरों  के  साथ  बहकर  दूसरे  देश  में  पहुंचेंगी,  जहां  समुद्र  के  आसपास  के  लोग  उसकी  कंपनियों  को  जानने  लगेंगे , उसने  एक-एक  करके  सारी  पेटियां  समुद्र  के  हवाले  कर  दीं। कुछ  समय  बाद  जहाज  सकुशल  विपदा  से  बाहर  निकल  आया ।  जहाज  के  लंदन  पहुंचते  ही  व्यापारी  ने  घटना  का  आंखों  देखा  हाल  कागज  पर  लिखा ।

इस  घटना  का  पूरा  ब्यौरा  लिखकर,  अपनी  कंपनी  के  नाम  के  साथ  उसने  वह  कागज  एक  समाचार पत्र  को  सौंप  दिया। अगले  ही  दिन  समाचार  पत्र  ने  यह  रिपोर्ट  छापी । रिपोर्ट  में  कई  यात्रियों  की  व्याकुलता  और  भाय का  बड़ा  ही  मार्मिक  और  सजीव  चित्रण  किया  गया  था।  इसलिए  रिपोर्ट  को  लोगों  ने  बड़ी  ही  दिलचस्पी  के साथ  पढ़ा । उस  दिन  के  बाद  लोगों  उसकी  चाय  की  कंपनियों  को  जानने  लगे।

इस  समुद्री  दुर्घटना  से  व्यापारी  की  चाय  की  कंपनी  का  नाम  देश  विदेश  में  काफी  प्रसिद्ध  हुआ  और  प्रतिष्ठा मिली।  इसके  चलते  कंपनी  एक  साल  के  अंदर  ही  1890  के  दशक  की  सबसे  बड़ी  चाय  कंपनी  बनकर  उभरी।आज  भी  यह  कंपनी  पूरे  विश्व  में  चाय  की  सबसे  बड़ी  कंपनियों  में  से  एक  है। यह  घटना  है  थॉमस  जे.  लिप्टन के  जीवन  की , जिन्होंने  लिप्टन  टी  कंपनी  की  शुरुआत  की  थी।

शिक्षा :  परिस्थितियां  विपरीत  हो  या  अनुकूल ,
            अवसर  हमेशा  मौजूद  होते  हैं।
            उन्हें  खोज  निकालना  आप  पर निर्भर  करता है।

रात  नहीं  ख्वाब  बदलता  है,
मंजिल  नहीं  करवा  बदलता  है,
जज्बा  रखो  जीतने  का ,
क्योकि  किस्मत  बदले  या  ना  बदले
पर  वक्त  जरूर  बदलता  है ।।

मंजिल  इंसान  के  हौसले  आजमाती  है,
सपनो  के  परदे  आँखो  से  हटाती  है,
किसी  भी  बात  से  हिम्मत  ना  हारना
ठोकर  ही  इंसान  को  चलना  सिखाती  है ।।

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