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Wednesday 7 September 2016

स्वामी विवेकानन्द


सन्  1902  में , एक  professor  ने  अपने  छात्र  से पुछा....क्या  वह  भगवान  था , जिसने  इस  संसार  की हर  वस्तु  को  बनाया ?
छात्र  का  जवाब :  हां ।

उन्होंने  फिर  पुछा :- शैतान  क्या  हैं?
क्या  भगवान  ने  इसे  भी  बनाया ?
छात्र  चुप  हो  गया... .....!

फिर  छात्र  ने  आग्रह  किया  कि-क्या  वह  उनसे  कुछ सवाल  पुछ  सकता  हैं?Professor  ने  इजाजत  दी.
उसने  पुछा-क्या  ठण्ड  होती  हैं ?
Professor  ने  कहा:  हां, बिल्कुल  क्या  तुम्हे  यह महसुस  नहीं  होती?

Student  ने  कहा: मैं  माफी  चाहता  हुं  सर, लेकिन आप  गलत  हो । गर्मी  का  पुर्ण  रुप  से  लुप्त  होना  ही ठण्ड  कहलाता  हैं,  जबकि  इसका  अस्तित्व  नहीं होता । ठण्ड  होती  ही  नहीं ?

Student  ने  फिर  पुछा : क्या  अन्धकार  होता  हैं ?Professor  ने  कहा:  हां ,होता  हैं
Student  ने  कहा: आप  फिर  गलत  है  सर ।अन्धकार  जैसी  कोई  चीज  नहीं  होती, वास्तव  में इसका  कारण  रोशनी  का  पुर्ण  रुप  से  लुप्त  होना  हैं .सर  हमने  हमेशा  गर्मी  और  रोशनी  के  बारे  में  पढा और  सुना  हैं । ठण्ड  और  अन्धकार  के  बारे  में  नहीं ।

वैसे  ही  भगवान  हैं....और.... बस  इसी  तरह  शैतान भी  नहीं  होता ,वास्तव  में , पुर्ण  रुप  से  भगवान  में विश्वास,  सत्य  और  आस्था  का  ना  होना  ही  शैतान का  होना  हैं।

वह  छात्र  थे...  स्वामी  विवेकानन्द..!
मित्रो, जीवन  में  न  दुख:  होता  हैं  ना  तकलीफ  वास्तव  में  हममें  जो  खासियत,  काबिलियत  ,खुद  में विश्वास  और  सकारात्मक  रवैये  की  कमी  को  ही  हम  दुख:  और  तकलीफ  बना  देते  हैं ।"

उसने  बेहिसाब  दिया  हैं  जो  हम  मानते  नहीं,   मानस जन्म  अनमोल  जिसे  हम  पहचानते  नही..... "

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