खोखले बहाने....
हम सब लोग बहाने बहुत बनाते है , मैं गरीब घर से आया हूँ , मेरी हाईट नहीं है , मैं सुन नहीं सकता , मैं देख नहीं सकता , मेरी आवाज खराब है , मेरी उम्र बहुत है , मेरी उम्र बहुत कम है , खुद को सहीं साबित करने के लिए लेकिन में आपको बताना चाहता हूँ "complainer don't create and creater don't complaints " मतलब जो शिकायत करते है वो कुछ नहीं करते जो कुछ करते है वो शिकायत नहीं करते ।
आज मैं आपको कुछ लोगों के बारें में बताना चाहता हूँ :-
सबसे पहले भारत कि शान धीरूभाई अंबानी चौथी फेल और पेट्रोल पंप पर काम करते थे , लेकिन उन्होनें एक सपना देखा कि आज भले ही मैं पेट्रोल पंप पर काम कर रहा हूँ लेकिन एक दिन मेरी खुद कि रिफायनरी होगी। शेख चिल्ली का विचार बोला जा सकता है लेकिन दुनिया में वहीं तो सफल होते है जो शेख चिल्ली के विचार पर काम करते है ।
एक बार उनके दोस्तों ने कहा तुम्हारी और हमारी सैलरी बराबर है लेकिन तुम उस 5 स्टार होटल में जा कर 2.5 रूपय कि चाय क्यों पीते हो जबकि , हम यहाँ ठेले पर 25 पैसे कि चाय पीते है , तुन्हारें में एेसा क्या घमंड़ है , तो धीरू भाई जवाब देते है मुझे चाय में कोई समस्या नहीं है चाय पीते - पीते जो तुम लोगों कि छोटी - छोटी बाते है न उससे मुझे समस्या है मैं जिस होटल में 2.5 रूपय कि चाय पीने जाता हूँ , वहाँ लाखों करोड़ो के सौदे कैसे होते है वह बहुत महत्वपूर्ण है ।
अब्रहम लिंकन इनको लोग ने कुत्ते कि पुँछ नाम दे दिया था , क्योंकि यह सोलह बार चुनाव हारे थे । लेकिन 17 वी बार जब जीते तो सीधे टॉप पर अमेरिका के राष्ट्रपति और हम एक हार से हार मान लेते हैं यह सोलह बार हारे थे ।
अमिताब बच्चन जो पहली बार जॉब के लिए ऑल इंडिया रेडियो में गए थे , तो उन्हें बोला गया तुम्हारी आवाज नहीं चलेगी तो अमिताब बच्चन ने बोला आवाज नहीं चलेगी ऐसा कैसे चलेगा । फिर एक समय एेसा आया कि इनकी आवाज के बिना कोई फिल्म नहीं चलती थी और बाद में यही आवाज गोल्डन voice के नाम से जानी जाती है । ऐसे महान व्यक्ति जो 1999 में 90 करोड़ कर्ज के बाद आज 1900 करोड़ प्लस में है । जिन्होने दुनिया को बता दिया , हम जहाँ से खड़े होते है लाईन वही से शुरू होती है ।
बिल गेट के बारे में बहुत से लोग बहुत सारी बाते कहते है , मैं सिर्फ एक बात बताना चाहुँगा कि लोग बोलते है बिल गेट कि किस्मत बहुत अच्छी थी । कि वह जहाँ पर रहता था उसके पास आधे किलोमीटर के अन्दर ही एक कम्प्यूटर सेन्टर था तो वह वहाँ जाकर 8 - 8 घन्टे कुछ न कुछ करता रहता था । तो उसे कम्पयूटर कि इतनी जानकारी हो गई लोग बोलते है , बिल गेट कि किस्मत बहुत अच्छी थी मैं उनसे कहना चाहता हूँ बिल गेट के मोहल्ले में कोई और लड़का नहीं रहता था क्या , दोस्तो किस्मत नहीं मेहनत क्योंकि बिना मेहनत के हाथ आई कामयाबी भी आधे रास्ते से चली जाती है । बिल गेट वह पर्सनैलिटी है जो आज अगर काम करना बंद कर दे तो आने वाले 700 सालो तक हर दिन एक करोड़ रू खर्च कर सकते है, लेकिन आज भी वह काम करते है मैं और आप कौन है ।
जे. के. रोलिगं वह पर्सनैलिटी है दोस्तो जिनको उनके पति ने तलाक दे दिया था तो उनकी एक छोटी बेटी तीन साल कि थी उसे लेकर रोड़ पर सोती थी । पहले बच्ची को सुलाती बाद में टाईप राईटर से लिखती और दिन में काम करती । इस तरह काम करके उन्होनें 1997 में पहली किताब हैरी पॉटर को लिखा , चार साल बाद वार्नर ब्रोस मूवीज कि नजर इस किताब पर पड़ी है एक फिल्म बनी हैरी पॉटर और आज इंगलैड कि महारानी से ज्यादा कि संपत्ती 2200 करोड़ डॉलर कि मालकिन है जे. के. रोलिंग ।
मास्टर ब्लास्टर सचिन तेन्दुलकर 16 साल कि उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया । लाइफ का सबसे बड़ा अचीवमेन्ट दसवी में फेल लेकिन आज महाराष्ट्र के दसवी कि किताब का पहला पाठ है तेन्दुलकर । क्रिकेट में बहुत सारे स्टेटमेन्ट दिए लोगों ने लेकिन सचिन ने सारे स्टेटमेन्ट अपनी बेटिंग से दिए । आज एक रिकार्ड है सचिन के नाम पर इतने रिकार्ड इसका भी एक रिकार्ड ।
थॉमस एडिसन स्कूल में गए टीचर ने घर भेज दिया क्योंकि उन्होनें टीचर से पूछ लिया टीचर तीन से पहले दो क्यों और दो से पहले एक क्यों टीचर ने बोला इसको घर भेजो पागल है ये तो । सुन नहीं सकते थे दोस्तों माँ ने घर पर पढ़ाया । दुनिया को एक से एक महान 1084 आविष्कार देकर गए ग्रामोफोन , बल्ब , आदि । बल्ब आज थॉमस एडिसन कि हि देन है 9,999 बार फेल हुए 10,000 बार जब सफल हुए , तो एक पत्रकार ने पूछा आप 9,999 बार फेल हुए फिर भी आपने अपना काम जारी रखा क्यों । तो थॉमस एडिसन ने कहा कौन कहता है, मैं 9,999 बार फेल हुआ मैने 9,999 एेसी खोजे कर दि कि इससे तो लाइट नहीं ही बन सकती और हम बैठे है एक न सुनकर और हम बैठे है दो न सुनकर । जब भी भी कोई आपसे बोले नो तो इसका मतलब है know ( नो ) वह ज्यादा जानना चाहता है क्योंकि NO का मतलब है Next opportunity.
अतं में सिर्फ स्वामी विवेकानन्द कि एक ही बात अपने दिमाग में बैठा ले , उनकी बात अपनी रग - रग में भर ले , सारी दुनिया में आपका नाम होगा " आपके अन्दर वह सब शक्ति है , आप वह सब कुछ पास सकते हो जो आप चाहते हो लेकिन याद रखे जब तक आपको अपनी मंजिल न मिले डटे रहे । "
हमें डटे रहना है अपनी मंजिल को पकड़ लेना है अगर आपकी मंजिल है । IAS तो अपके रास्ते में जो मुश्किले आएगी वो IAS के लेवल कि अएगी , अगर आपकी मंजिल है एक करोड़ रू तो आपको जो मुश्किले आएगी वो एक करोड़ के लेवल कि आएगी , अगर एक लाख कमाना चाहते है तो तकलिफे एक लाख के लेवल कि अएगी । तो पहले आप तय कर लो आपकी मंजिल क्या है । इन सभी लोगों को आप देखो इनमें से एक भी ऐसा नहीं है जो हमसे ऊपर हो लेकिन आज यह सब न जाने कहाँ - कहाँ - कहाँ पहुंच गए है । अब्रहम लिंकन , गाँधी , बच्चन, टैरेसा इन सभी पर्सनैलिटी में एक बात समान है इनके फिर से खड़े होकर लड़ने कि शक्ति ।
क्योंकि महान व्यक्ति वह नहीं, जो कभी गिरा ही नहीं ,
महान तो वह है, जो गिरकर फिर खड़ा हो जाता है ।।
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