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Friday 10 June 2016

घर गृहस्थी ग्रुप

घर गृहस्थी ग्रुप की सादर प्रस्तुति
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     कितना ध्यान देते हैं आप
       अपने बच्चों पर ?

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दोस्तों,

हम याने माता-पिता अकसर अपने बच्चों के व्यवहार को लेकर चिंतित रहते हैं। हम समझ नहीं पाते कि बच्चे के व्यवहार को कैसे समझें हमे चिंति‍त होने के बजाय इस समस्या का समाधान खोजना चाहिए।बच्चों की भावनाओं से लेकर बच्चे के विकास तक पर ध्यान देना भी ज़रूरी है। बच्चा कब कहां से क्या सीख रहा है, बच्चे में आए दिन होने वाले बदला क्या-क्या है, अपने बच्चों को अटेंशन दें। इतना ही नहीं बच्चों से संतोषजनक दोस्ती करें जिससे आप अपने बच्चे से अच्छी तरह से घुल-मिल पाएं। आपको बच्चे को समझने के लिए आप क्या–क्या उपाय करना चाहिये आज  घर गृहस्थी परिवार ग्रुप मे चर्चा करते हैं।

कई बार घर में पूरी तरह से बच्चें को स्पेस न मिलने के कारण बच्चों की दोस्ती ऐसे बच्चों से हो जाती है, जो व्यवहार में तेज होते हैं और गालियां देते हैं , मारपीट करते हैं। यदि आपके बच्चे की ऐसे किसी बच्चे‍ से दोस्ती हो गई है तो निश्चित रूप से कुछ दिनों के भीतर ही आपके बच्चे में भी ये गुण दिखाई देंगे जो कि बच्चे के व्यक्तित्व विकास के लिए हानिकरक है।हम समय समय पर ये निगरानी रखे की हमारा बच्चा किस तरह के दोस्तों की संगत मे हैं । जो दोस्त उसके हैं उनका
व्यवहार और आदते कैसी हैं, ये जरूरी नही की वो गरीब या अमीर हो, जरूरी ये हैं की उस दोस्त के संस्कार कैसे हैं । क्योंकि दोस्त की सकारात्मक या नकारात्मक छाया बच्चों पर जल्दी पढ़ती हैं ।

बहुत पुरानी कहावत है कि बच्चे मन के सच्चें होते हैं। यह बहुत हद तक सही भी है। बच्चे मन के तो सच्चे होते हैं, लेकिन नासमझी में दूसरों की आदतों को अपनाने में भी उन्हें देर नहीं लगती। नतीजन बच्चों का गलत संगत में पड़ना।जब बच्चा अपने दोस्त के पास से आता हैं, तब उसका व्यवहार देख कर जाने या बातकर पूछे की आज क्या किया ।

बच्चे जो कुछ भी सीखते हैं वह घर में या घर के आसपास के माहौल में ही सीखते हैं। यदि आपको अपने बच्‍चे में कोई बदलाव दिखे या आपका बच्चा कभी अभद्र भाषा का प्रयोग करें तो आपको उसे तुरंत टोकना चाहिए और बच्चों को टोकने का कारण बताएं। ताकि वा दोबारा ऐसा करने से पहले सोचें।

कई बार बच्चे अटेंशन पाने के लिए भी गलत काम करने लगते है, लेकिन बाद में ये उनकी आदतों में शुमार हो जाता है। ऐसे में आपको अपने बच्चे को प्यार के साथ-साथ पूरी देखभाल भी करनी चाहिए।

ध्यान रखें कि आपका बच्चा टीवी पर कैसे प्रोग्राम्स‍ देख रहा है, टीवी से क्या वह कुछ गलत तो नहीं सीख रहा।बच्चे के कौन-कौन से फ्रेंड्स है, बच्चे के फ्रेंड्स से बातें करें, उन्हें घर पर आने का निमंत्रण दें और बच्चे‍ के दोस्तों को पहचानने की कोशिश करें।

एक बात ध्यान में रखें बच्चे के फ्रेंड्स के सामने उसे गलत बात पर बिल्कुल न डांटे बल्कि उसके फ्रेंड्स के जाने के बाद उसको समझाए कि उसने क्या गलती की थी।

बच्चों से दोस्ती बढ़ाए जिससे कोई भी समस्या आने पर आपका बच्चा‍ आपसे अपनी बातें शेयर कर सकें।अपनी बोलचाल की भाषा पर भी ध्यान दें क्योंकि बच्चा जो कुछ भी सीखता है, उसमें पैरेंट्स का हाथ अधिक होता है। कभी भी आपके मुंह से गलती से भी बुरे शब्द निकले जाएं तो तुरंत ही ‘सॉरी’ बोलें।

   आजकल हम देख रहे है की बच्चों
मै संस्कार की भी कमी होती जा रही है बच्चे आजकल बढ़ो को बुजुर्गों को
सम्मान नही देते इसके लिए भी घर मे हमे पहले अपने माँ बाप को सम्मान
देना पढ़ेगा हमे घर मे अपने माँ पिता की बुराई बच्चों के सामने नही करना
चाहिए । वरना वह भी यही संस्कार
सीखेगा और बढ़ा होने पर हमे भी अपमानित करेगा । ऐसे दोस्त जो अपने माता पिता की आज्ञा का पालन नही करते उनसे दूर रखे । यदि कोई दोस्त घर आता है और आपको या परिवार के किसी बढ़ो का सम्मान नही करता सिर्फ बच्चों से मिलता उसे धीरे से बच्चों से दूर करे ।

अपने बच्चों से रोज बातचीत करें और उन्हें क्वालिटी टाइम दें। बच्चों की एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट करें और जानने की कोशिश करें कि बच्चे अपनी डेली-लाइफ में क्या-क्या करते हैं। उनके फ्रेंड्स को क्या पसंद है। दिनभर की कोई नई बात या फिर फ्रेंड ने कुछ खास बात की हो। ऐसी सभी बातें अपने बच्चे‍ से शेयर करें। ऐसा करके आप अपने बच्चे को गलत हाथों में जाने से रोक पाएंगी और अपने बच्चे को हमेशा अपने करीब पाएंगी।

  इस बात का ध्यान रखे की यदि आप आज ही मजबूत नींव की बुनियाद रखेंगे तो कल मजबूत दिवार खड़ी होगी । याने बच्चों को अच्छे संस्कार हेतु आज ही पहल करना होगी,वरना कल का समय गुजर जायगा और पीछे दे जायगा कुछ बंजर सी जमीन।

कोई और सुझाव हो तो स्वागत है ।
आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा।

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