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Saturday 11 June 2016

डिज़ाइनर स्टोरी

🎈🎈डिज़ाइनर स्टोरी🎈🎈

"कछुआ और खरगोश"  कहानी एक नये अन्दाज़ में  – वो कहानी जो  आपने नहीं सुनी.....

दोस्तों आपने कछुए और खरगोश की कहानी ज़रूर सुनी होगी, just to remind you; short में यहाँ बता देता हूँ:

एक बार खरगोश को अपनी तेज चाल पर घमंड हो गया  और वो जो मिलता उसे रेस लगाने के लिए challenge करता रहता।

कछुए ने उसकी चुनौती स्वीकार कर ली।

रेस हुई। खरगोश तेजी से भागा और काफी आगे जाने पर पीछे मुड़ कर देखा, कछुआ कहीं आता नज़र नहीं आया, उसने मन ही मन सोचा कछुए को तो यहाँ तक आने में बहुत समय लगेगा, चलो थोड़ी देर आराम कर लेते हैं, और वह एक पेड़ के नीचे लेट गया। लेटे-लेटे  कब उसकी आँख लग गयी पता ही नहीं चला।

उधर कछुआ धीरे-धीरे मगर लगातार चलता रहा। बहुत देर बाद जब खरगोश की आँख खुली तो कछुआ फिनिशिंग लाइन तक पहुँचने वाला था। खरगोश तेजी से भागा, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और कछुआ रेस जीत गया।

Moral of the story: Slow and steady wins the race. धीमा और लगातार चलने वाला रेस जीतता है।

ये कहानी तो हम सब जानते हैं, अब आगे की कहानी देखते हैं:

रेस हारने के बाद खरगोश निराश हो जाता है, वो अपनी हार पर चिंतन करता है और उसे समझ आता है कि वो over-confident होने के कारण ये रेस हार गया…उसे अपनी मंजिल तक पहुँच कर ही रुकना चाहिए था।

अगले दिन वो फिर से कछुए को दौड़ की चुनौती देता है। कछुआ पहली रेस जीत कर आत्मविश्वाश से भरा होता है और तुरंत मान जाता है।

रेस होती है, इस बार खरगोश बिना रुके अंत तक दौड़ता जाता है, और कछुए को एक बहुत बड़े अंतर से हराता है।

Moral of the story: Fast and consistent will always beat the slow and steady. / तेज और लगातार चलने वाला धीमे और लगातार चलने वाले से हमेशा जीत जाता है।

यानि slow and steady होना अच्छा है लेकिन fast and consistent   होना और भी अच्छा है।

For example, अगर किसी ऑफिस में इन दो टाइप्स के लोग हैं तो वे ज्यादा तेजी से आगे बढ़ते हैं जो fast भी हैं और अपने फील्ड में consistent भी हैं।

कहानी अभी बाकी है..................✍

इस बार कछुआ कुछ सोच-विचार करता है और उसे ये बात समझ आती है कि जिस तरह से अभी रेस हो रही है वो कभी-भी इसे जीत नहीं सकता।

वो एक बार फिर खरगोश को एक नयी रेस के लिए चैलेंज करता है, पर इस बार वो रेस का रूट अपने मुताबिक रखने को कहता है। खरगोश तैयार हो जाता है।

रेस शुरू होती है। खरगोश तेजी से तय स्थान की और भागता है, पर उस रास्ते में एक तेज धार नदी बह रही होती है, बेचारे खरगोश को वहीँ रुकना पड़ता है। कछुआ धीरे-धीरे चलता हुआ वहां पहुँचता है, आराम से नदी पार करता है और लक्ष्य तक पहुँच कर रेस जीत जाता है।

Moral of the story:
Know your core competencies and work accordingly to succeed.  पहले अपनी strengths को जानो और उसके मुताबिक काम करो जीत ज़रुर मिलेगी.

For Ex: अगर आप एक अच्छे वक्ता हैं तो आपको आगे बढ़कर ऐसे अवसरों को लेना चाहिए जहाँ public speaking का मौका मिले। ऐसा करके आप अपनी organization में तेजी से ग्रो कर सकते हैं।

कहानी अभी भी बाकी है..................✍

इतनी रेस करने के बाद अब कछुआ और खरगोश अच्छे  दोस्त बन गए थे और एक दुसरे की ताकत और कमजोरी समझने लगे थे। दोनों ने मिलकर विचार किया कि अगर हम एक दुसरे का साथ दें तो कोई भी रेस आसानी से जीत सकते हैं।

इसलिए दोनों ने आखिरी रेस एक बार फिर से मिलकर दौड़ने का फैसला किया, पर इस बार as a competitor नहीं बल्कि as a team काम करने का निश्चय लिया।

दोनों स्टार्टिंग लाइन पे खड़े हो गए….get set go…. और तुरंत ही खरगोश ने कछुए को ऊपर उठा लिया और तेजी से दौड़ने लगा। दोनों जल्द ही नदी के किनारे पहुँच गए। अब कछुए की बारी थी, कछुए ने खरगोश को अपनी पीठ बैठाया और दोनों आराम से नदी पार कर गए। अब एक बार फिर खरगोश कछुए को उठा फिनिशिंग लाइन की ओर दौड़ पड़ा और दोनों ने साथ मिलकर रिकॉर्ड टाइम में रेस पूरी कर ली। दोनों बहुत ही खुश और संतुष्ट थे, आज से पहले कोई रेस जीत कर उन्हें इतनी ख़ुशी नहीं मिली थी।

Moral of the story: Team Work is always better than individual performance. / टीम वर्क हमेशा व्यक्तिगत प्रदर्शन से बेहतर होता है।

Individually चाहे आप जितने बड़े performer हों लेकिन अकेले दम पर हर मैच नहीं जीता सकते।

अगर लगातार जीतना है तो आपको टीम में काम करना सीखना होगा, आपको अपनी काबिलियत के आलावा दूसरों की ताकत को भी समझना होगा। और जब जैसी situation हो, उसके हिसाब से टीम की strengths को use करना होगा।

यहाँ एक बात और ध्यान देने वाली है। खरगोश और कछुआ दोनों ही अपनी हार के बाद निराश हो कर बैठ नहीं गए, बल्कि उन्होंने स्थिति को समझने की कोशिश की और अपने आप को नयी चुनौती के लिए तैयार किया। जहाँ खरगोश ने अपनी हार के बाद और अधिक मेहनत की वहीँ कछुए ने अपनी हार को जीत में बदलने के लिए अपनी strategy में बदलाव किया।

जब कभी आप फेल हों तो या तो अधिक मेहनत करें या अपनी रणनीति में बदलाव लाएं या दोनों ही करें, पर कभी भी हार को आखिरी मान कर निराश न हों…बड़ी से बड़ी हार के बाद भी जीत हासिल की जा सकती है।

स्वयं विचार किजिए...

शुभ प्रभात

"एक सुबह ऐसी भी हो सकती है"

सन् 2095 यानी की आज से 79 साल बाद।
रितेश अपने कमरे में चुपचाप गुमसुम सा बैठा है....
तभी मम्मी की तरंगे कैच होने लगती है
(उस समय तक शायद मोबाईल म्यूज़ियम में दिखेंगे और ऐसे छोटे छोटे ऊँगली में फिट होने वाले गजेट्स आजायेंगे जिनका बटन ऑन करने के बाद जिस व्यक्ति के बारे में सोचेंगे उस से मानसिक तरंगो से बात शुरू हो जाएगी जैसे आजकल मोबाईल से होती है।
रितेश हलो मम्मी ...
कैसी है आप ???
मम्मी:--ठीक हूँ बेटा ..
तू बता अभी अमेरिका में धूप निकली की नही??
रितेश:--नही मम्मी अभी कहाँ... करीब दो महीने तो हो ही गए...
अभी तक अन्धेरा ही है और मौसम विभाग की भविष्यवाणी हुई है की अभी एक महीने और सूरज निकलने के आसार नही है।
मम्मी:--
ह्म्म्म यहाँ भी स्थिति ठीक नही है ..
पिछले एक महीने से सूरज ढल ही नही रहा...
85 डिग्री सेल्सियस तापमान बना हुआ है...
भयंकर पराबैंगनी किरणे फैली हुई है..
कल ही पडौस वाले जोशी जी का मांस पिघल कर गिरने लगा था...
वो अभी भी I.C.U  में भर्ती है
रितेश :--
ओह्ह तो क्या उन्हने घर पे ओजोन कवर नही लगा रखा है क्या???
मम्मी-घर पर लगवा तो रखा है पर उनकी कार का ओजोन कवर थोडा पुराना हो गया था इसलिए...
उसमे छेद हो गया और पराबैगनी किरणे उनकी बॉडी से टच हो गई थी।
रितेश:--अच्छा मम्मी आपने सुना इधर एक बड़ी घटना हो गई...
परसो अमेरिका के किसी कस्बे एक पौधा पाया गया...
पूरी दुनिया में अफरातफरी मच गई दुनिया भर के वैज्ञानिक वहाँ इकठ्ठा हो गए काफी रिसर्च चल रही आखिर दुनिया में एक वनस्पति दिखाई देना बहुत बड़ी बात है।

मम्मी:---अच्छा बेटा तू टाईम से अपने भोजन के केप्सूल तो लेता हैं ना ???
और हां वो पानी वाले केप्सूल लेना मत भूलना वरना तेरी तबियत खराब हो जाएगी।
और टाईम से ऑक्सीजन लेते रहना बेटा तेरे पापा ने एक बार ऑक्सीजन लेने में लापरवाही कर दी थी पुरे फेफड़े ही बदलवाने पड़ गए...
तू तो जानता ही है की अच्छे वाले फेफड़े कितने महंगे हो गए है...।
रितेश:---
मम्मी अभी  बजाज के फेफड़े लांच होने वाले है जो कीमत में काफी कम है और सर्विस होंडा के फेफड़ो जैसी ही रहेगी।
और हां मम्मी आप भी याद रखना घर में तीन चार लिवर एक्स्ट्रा रखा करो.....
यूँ भी दादा जी को हर तीन महीने में नया लिवर लगता ही है एकाध एक्स्ट्रा में भी रहना चाहिए कब रात बी रात जरूरत पड़ जाए।

आपको शायद यह मजाक लग सकता है पर अपनी आने वाली पीढ़ी को इन परिस्थितियों से बचाना है तो ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाइये और अपने दोस्तों/रिश्तेदारो/कलीग्स को भी इसके लिए प्रेरित कीजिए।

स्वयं विचार किजिए... 🙏🏻

बहुत सुंदर कथा ..

बहुत सुंदर कथा ..
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एक औरत अपने परिवार के सदस्यों के लिए रोज़ाना भोजन पकाती थी और एक रोटी वह वहाँ से गुजरने वाले किसी भी भूखे के लिए पकाती थी..।

वह उस रोटी को खिड़की के सहारे रख दिया करती थी, जिसे कोई भी ले सकता था..।

एक कुबड़ा व्यक्ति रोज़ उस रोटी को ले जाता और बजाय धन्यवाद देने के अपने रस्ते पर चलता हुआ वह कुछ इस तरह बड़बड़ाता- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा..।"

दिन गुजरते गए और ये सिलसिला चलता रहा..

वो कुबड़ा रोज रोटी लेके जाता रहा और इन्ही शब्दों को बड़बड़ाता- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा.।"

वह औरत उसकी इस हरकत से तंग आ गयी और मन ही मन खुद से कहने लगी की- "कितना अजीब व्यक्ति है, एक शब्द धन्यवाद का तो देता नहीं है, और न जाने क्या-क्या बड़बड़ाता रहता है, मतलब क्या है इसका.।"

एक दिन क्रोधित होकर उसने एक निर्णय लिया और बोली- "मैं इस कुबड़े से निजात पाकर रहूंगी.।"

और उसने क्या किया कि उसने उस रोटी में ज़हर मिला दिया जो वो रोज़ उसके लिए बनाती थी, और जैसे ही उसने रोटी को को खिड़की पर रखने कि कोशिश की, कि अचानक उसके हाथ कांपने लगे और रुक गये और वह बोली- "हे भगवन, मैं ये क्या करने जा रही थी.?" और उसने तुरंत उस रोटी को चूल्हे कि आँच में जला दिया..। एक ताज़ा रोटी बनायीं और खिड़की के सहारे रख दी..।

हर रोज़ कि तरह वह कुबड़ा आया और रोटी ले के: "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा" बड़बड़ाता हुआ चला गया..।

इस बात से बिलकुल बेख़बर कि उस महिला के दिमाग में क्या चल रहा है..।

हर रोज़ जब वह महिला खिड़की पर रोटी रखती थी तो वह भगवान से अपने पुत्र कि सलामती और अच्छी सेहत और घर वापसी के लिए प्रार्थना करती थी, जो कि अपने सुन्दर भविष्य के निर्माण के लिए कहीं बाहर गया हुआ था..। महीनों से उसकी कोई ख़बर नहीं थी..।

ठीक उसी शाम को उसके दरवाज़े पर एक दस्तक होती है.. वह दरवाजा खोलती है और भोंचक्की रह जाती है.. अपने बेटे को अपने सामने खड़ा देखती है..।

वह पतला और दुबला हो गया था.. उसके कपडे फटे हुए थे और वह भूखा भी था, भूख से वह कमज़ोर हो गया था..।

जैसे ही उसने अपनी माँ को देखा, उसने कहा- "माँ, यह एक चमत्कार है कि मैं यहाँ हूँ.. आज जब मैं घर से एक मील दूर था, मैं इतना भूखा था कि मैं गिर गया.. मैं मर गया होता..।

लेकिन तभी एक कुबड़ा वहां से गुज़र रहा था.. उसकी नज़र मुझ पर पड़ी और उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया.. भूख के मरे मेरे प्राण निकल रहे थे.. मैंने उससे खाने को कुछ माँगा.. उसने नि:संकोच अपनी रोटी मुझे यह कह कर दे दी कि- "मैं हर रोज़ यही खाता हूँ, लेकिन आज मुझसे ज़्यादा जरुरत इसकी तुम्हें है.. सो ये लो और अपनी भूख को तृप्त करो.।"

जैसे ही माँ ने उसकी बात सुनी, माँ का चेहरा पीला पड़ गया और अपने आप को सँभालने के लिए उसने दरवाज़े का सहारा लीया..।

उसके मस्तिष्क में वह बात घुमने लगी कि कैसे उसने सुबह रोटी में जहर मिलाया था, अगर उसने वह रोटी आग में जला के नष्ट नहीं की होती तो उसका बेटा उस रोटी को खा लेता और अंजाम होता उसकी मौत..?

और इसके बाद उसे उन शब्दों का मतलब बिलकुल स्पष्ट हो चूका था- "जो तुम बुरा करोगे वह तुम्हारे साथ रहेगा, और जो तुम अच्छा करोगे वह तुम तक लौट के आएगा.।।

               " निष्कर्ष "
           ==========
हमेशा अच्छा करो और अच्छा करने से अपने आप को कभी मत रोको, फिर चाहे उसके लिए उस समय आपकी सराहना या प्रशंसा हो या ना हो..।
            ==========

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मैं आपसे दावे के साथ कह सकता हूँ कि ये बहुत से लोगों के जीवन को छुएगी व बदलेगी.।
जय जय श्री राधे राधे..                          🇮🇳वन्दे मातरम्🇮🇳

Friday 10 June 2016

घर गृहस्थी ग्रुप

घर गृहस्थी ग्रुप की सादर प्रस्तुति
➿➿➿➿➿➿➿➿➿

     कितना ध्यान देते हैं आप
       अपने बच्चों पर ?

   〰〰〰❤❤〰〰〰

दोस्तों,

हम याने माता-पिता अकसर अपने बच्चों के व्यवहार को लेकर चिंतित रहते हैं। हम समझ नहीं पाते कि बच्चे के व्यवहार को कैसे समझें हमे चिंति‍त होने के बजाय इस समस्या का समाधान खोजना चाहिए।बच्चों की भावनाओं से लेकर बच्चे के विकास तक पर ध्यान देना भी ज़रूरी है। बच्चा कब कहां से क्या सीख रहा है, बच्चे में आए दिन होने वाले बदला क्या-क्या है, अपने बच्चों को अटेंशन दें। इतना ही नहीं बच्चों से संतोषजनक दोस्ती करें जिससे आप अपने बच्चे से अच्छी तरह से घुल-मिल पाएं। आपको बच्चे को समझने के लिए आप क्या–क्या उपाय करना चाहिये आज  घर गृहस्थी परिवार ग्रुप मे चर्चा करते हैं।

कई बार घर में पूरी तरह से बच्चें को स्पेस न मिलने के कारण बच्चों की दोस्ती ऐसे बच्चों से हो जाती है, जो व्यवहार में तेज होते हैं और गालियां देते हैं , मारपीट करते हैं। यदि आपके बच्चे की ऐसे किसी बच्चे‍ से दोस्ती हो गई है तो निश्चित रूप से कुछ दिनों के भीतर ही आपके बच्चे में भी ये गुण दिखाई देंगे जो कि बच्चे के व्यक्तित्व विकास के लिए हानिकरक है।हम समय समय पर ये निगरानी रखे की हमारा बच्चा किस तरह के दोस्तों की संगत मे हैं । जो दोस्त उसके हैं उनका
व्यवहार और आदते कैसी हैं, ये जरूरी नही की वो गरीब या अमीर हो, जरूरी ये हैं की उस दोस्त के संस्कार कैसे हैं । क्योंकि दोस्त की सकारात्मक या नकारात्मक छाया बच्चों पर जल्दी पढ़ती हैं ।

बहुत पुरानी कहावत है कि बच्चे मन के सच्चें होते हैं। यह बहुत हद तक सही भी है। बच्चे मन के तो सच्चे होते हैं, लेकिन नासमझी में दूसरों की आदतों को अपनाने में भी उन्हें देर नहीं लगती। नतीजन बच्चों का गलत संगत में पड़ना।जब बच्चा अपने दोस्त के पास से आता हैं, तब उसका व्यवहार देख कर जाने या बातकर पूछे की आज क्या किया ।

बच्चे जो कुछ भी सीखते हैं वह घर में या घर के आसपास के माहौल में ही सीखते हैं। यदि आपको अपने बच्‍चे में कोई बदलाव दिखे या आपका बच्चा कभी अभद्र भाषा का प्रयोग करें तो आपको उसे तुरंत टोकना चाहिए और बच्चों को टोकने का कारण बताएं। ताकि वा दोबारा ऐसा करने से पहले सोचें।

कई बार बच्चे अटेंशन पाने के लिए भी गलत काम करने लगते है, लेकिन बाद में ये उनकी आदतों में शुमार हो जाता है। ऐसे में आपको अपने बच्चे को प्यार के साथ-साथ पूरी देखभाल भी करनी चाहिए।

ध्यान रखें कि आपका बच्चा टीवी पर कैसे प्रोग्राम्स‍ देख रहा है, टीवी से क्या वह कुछ गलत तो नहीं सीख रहा।बच्चे के कौन-कौन से फ्रेंड्स है, बच्चे के फ्रेंड्स से बातें करें, उन्हें घर पर आने का निमंत्रण दें और बच्चे‍ के दोस्तों को पहचानने की कोशिश करें।

एक बात ध्यान में रखें बच्चे के फ्रेंड्स के सामने उसे गलत बात पर बिल्कुल न डांटे बल्कि उसके फ्रेंड्स के जाने के बाद उसको समझाए कि उसने क्या गलती की थी।

बच्चों से दोस्ती बढ़ाए जिससे कोई भी समस्या आने पर आपका बच्चा‍ आपसे अपनी बातें शेयर कर सकें।अपनी बोलचाल की भाषा पर भी ध्यान दें क्योंकि बच्चा जो कुछ भी सीखता है, उसमें पैरेंट्स का हाथ अधिक होता है। कभी भी आपके मुंह से गलती से भी बुरे शब्द निकले जाएं तो तुरंत ही ‘सॉरी’ बोलें।

   आजकल हम देख रहे है की बच्चों
मै संस्कार की भी कमी होती जा रही है बच्चे आजकल बढ़ो को बुजुर्गों को
सम्मान नही देते इसके लिए भी घर मे हमे पहले अपने माँ बाप को सम्मान
देना पढ़ेगा हमे घर मे अपने माँ पिता की बुराई बच्चों के सामने नही करना
चाहिए । वरना वह भी यही संस्कार
सीखेगा और बढ़ा होने पर हमे भी अपमानित करेगा । ऐसे दोस्त जो अपने माता पिता की आज्ञा का पालन नही करते उनसे दूर रखे । यदि कोई दोस्त घर आता है और आपको या परिवार के किसी बढ़ो का सम्मान नही करता सिर्फ बच्चों से मिलता उसे धीरे से बच्चों से दूर करे ।

अपने बच्चों से रोज बातचीत करें और उन्हें क्वालिटी टाइम दें। बच्चों की एक्टिविटीज में पार्टिसिपेट करें और जानने की कोशिश करें कि बच्चे अपनी डेली-लाइफ में क्या-क्या करते हैं। उनके फ्रेंड्स को क्या पसंद है। दिनभर की कोई नई बात या फिर फ्रेंड ने कुछ खास बात की हो। ऐसी सभी बातें अपने बच्चे‍ से शेयर करें। ऐसा करके आप अपने बच्चे को गलत हाथों में जाने से रोक पाएंगी और अपने बच्चे को हमेशा अपने करीब पाएंगी।

  इस बात का ध्यान रखे की यदि आप आज ही मजबूत नींव की बुनियाद रखेंगे तो कल मजबूत दिवार खड़ी होगी । याने बच्चों को अच्छे संस्कार हेतु आज ही पहल करना होगी,वरना कल का समय गुजर जायगा और पीछे दे जायगा कुछ बंजर सी जमीन।

कोई और सुझाव हो तो स्वागत है ।
आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा।

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